राम तेरी गंगा मैली हो गई,
दोहा – तेरी धरोहर तेरी निशानी,
लिए फिरूँ मैं बनी दीवानी,
भुलाने वाले कभी तो आजा,
की तेरी गंगा है पानी पानी,
की तेरी गंगा है पानी पानी।।
एक दुखियारी कहे,
बात ये रोते रोते,
राम तेरी गंगा मैली हो गई,
पापियों के पाप धोते धोते,
हो ओ …
राम तेरी गंगा मैली हो गईं,
पापियों के पाप धोते धोते।।
धरती पर उतरी थी लेकर,
कितना पावन पानी,
हो ओ…
इसमें नहाये कामी क्रोधी,
लोभी खल अज्ञानी,
लायी दूध जैसी धारा,
गया स्वर्ग से उतारा,
इसकी बूंदों में है जीवन,
इसकी लहरो में किनारा,
नदी और नारी,
हो ओ…
नदी और नारी रहे,
औरों का कलंक सर ढ़ोते,
राम तेरी गंगा मैली हो गईं,
पापियों के पाप धोते धोते।।
आत्मा है इक सच्चा हीरा,
काया है इक थैली हो ओ,
हीरें को मत झूठा कहना,
थैली देख के मैली,
कोई ताने मत मारो,
इसकी आरती उतारो,
देवी कह के पुकारों,
मन की आँखों से निहारों,
करो रखवारी,
हो ओ,
करो रखवारी इस,
हीरे की जाग के सोते,
राम तेरी गंगा मैली हो गयी,
पापियों के पाप धोते धोते।।