धोरा वाली धरती नखत बना,
काली नागिन डोले रे।
दोहा -धिन धुणो धीन धाम ने,
धिन धिन कलीया नाडी री पाल,
धिन नाम नखतेश रो,
म्हारा पुर्ण करजो काम।
धोरा वाली धरती नखत बना,
काली नागिन डोले रे,
बोझा मे खरङावे नुगरी बाँडकी,
नखत बनाने ध्यावे जारा,
संकट कोनी रेवे ओ,
धोरा री धरती रा साचा देवता।।
ऑडी चाले टेडी चाले,
टेढ़ा डँक लगावे औ,
जहर तो फेलावे सारे डिल मे।।
बिछुड़ा रा खादौड़ा,
उबुङा अरङावे जी,
सर्पा रा खादौड़ा सेदेँ आवसी।।
दिन दिन हाली हलिया बावे,
सांझ पङीया घर आवे ओ,
सुता ने पि जावे पेणा नागङा।।
पेणा रा पियोङा,
सिद्धा सुताही रे जावे ओ,
सेँदे नखत हेलो मारसी।।
दोय कर जोङ खिवजी,
माकङ गावे ओ,
बचन निभाई सिद्ध म्हारा पेलङा।।
धोरां वाली धरती नखत बना,
काली नागिन डोले रे,
बोझा मे खरङावे नुगरी बाँडकी,
नखत बनाने ध्यावे जारा,
संकट कोनी रेवे ओ,
धोरा री धरती रा साचा देवता।।
प्रेषक – जयप्रकाश सिँवर।
9602812689