बजरंगबली किरपा करके,
तुम मुझे बसा लो चरणन में।।
तर्ज – कान्हा आन बसों।
तेरे दर्शन की अभिलाषा है,
ये दास बड़ा ही प्यासा है,
मैं तुम्हे बसा लूँ नैनन में,
तुम मुझे बसा लो चरणन में,
बजरंगबली किरपा करके,
तुम मुझे बसा लो चरणन में।।
तुम भक्तो के दुःख भंजन हो,
बलवान हो केसरी नंदन हो,
तुम्हे देख लूँ माँ के दर्पण में,
तुम मुझे बसा लो चरणन में,
बजरंग बली किरपा करके,
तुम मुझे बसा लो चरणन में।।
बलवीर हो तुम महावीर हो तुम,
मंगल मूरत रणधीर हो तुम,
बस रहते हो मेरी अखियन में,
तुम मुझे बसा लो चरणन में,
बजरंग बली किरपा करके,
तुम मुझे बसा लो चरणन में।।
तुम राम के काज सवारे हो,
तुम दिन दुखी को तारे हो,
मुझे देदो शरण बस चरणन में,
तुम मुझे बसा लो चरणन में,
बजरंग बली किरपा करके,
तुम मुझे बसा लो चरणन में।।
बलवीर हो तुम बजरंगी हो,
तुम प्रेम सुमति के संगी हो,
तुम रहते हो प्रेम की बगियन में,
तुम मुझे बसा लो चरणन में,
बजरंग बली किरपा करके,
तुम मुझे बसा लो चरणन में।।