ओ लाल लंगोटे वाले,
प्रभु तेरे रूप निराले,
तेरी मूरत मन को भाये,
सिंदूरी श्रंगार पे बाबा,
हम सब बलि बलि जाये,
ओ लाल लंगोटे वालें,
प्रभु तेरे रूप निराले।।
तर्ज – हाय हाय ये मज़बूरी
शिव शंकर के रूद्र रूप में,
अंजनी घर अवतारे,
नारायण के रक्षक बनकर,
उनके कारज सारे,
राम के काज सवारन को,
कोई तुमसा नजर ना आये,
सिंदूरी श्रंगार पे बाबा,
हम सब बलि बलि जाये,
ओ लाल लंगोटे वाले,
प्रभु तेरे रूप निराले।।
राम राम तुम स्वयं तो रटते,
है ये अध्भुत माया,
राम भक्त है तुम्हरे हनुमत,
तभी तो मान बढ़ाया,
भक्त बड़ा भगवान से जग को,
यही बताने आये,
सिंदूरी श्रंगार पे बाबा,
हम सब बलि बलि जाये,
औ लाल लंगोटे वाले,
प्रभु तेरे रूप निराले।।
कितने ही भक्तो के तुमने,
बिगड़े काम बनाये,
कितनो की लज्जा राखी,
कितनो को पार लगाए,
तेरी कृपा से तुलसीदास,
प्रभु राम का दर्शन पाए,
सिंदूरी श्रंगार पे बाबा,
हम सब बलि बलि जाये,
औ लाल लंगोटे वाले,
प्रभु तेरे रूप निराले।।
महिमा तेरी बड़ी निराली,
किस विध करूँ बखान,
कैसे पाऊं तुझको स्वामी,
दो ऐसा वरदान,
नैया मेरी तेरे भरोसे,
तू ही पार लगाए,
सिंदूरी श्रंगार पे बाबा,
हम सब बलि बलि जाये,
औ लाल लंगोटे वाले,
प्रभु तेरे रूप निराले।।
ओ लाल लंगोटे वाले,
प्रभु तेरे रूप निराले,
तेरी मूरत मन को भाये,
सिंदूरी श्रंगार पे बाबा,
हम सब बलि बलि जाये,
औ लाल लंगोटे वालें,
प्रभु तेरे रूप निराले।।