दिला दो भीख दर्शन की,
गुरू तेरा भिखारी हूँ,
गुरू तेरा भिखारी हूँ,
गुरू तेरा भिखारी हूँ,
दिला दो भिख दर्शन की,
गुरू तेरा भिखारी हूँ।।
इश्क की दिल में धुन लागी,
बना मैं तब से वैरागी,
भोगों की वासना त्यागी,
फक्त तेरा भिखारी हूँ,
दिला दो भिख दर्शन की,
गुरू तेरा भिखारी हूँ।।
रमा के खाक सब तन में,
फिरूं मैं ढूंढता वन में,
तेरे दीदार की मन में,
बिना दर्शन दुखारी हूँ,
दिला दो भिख दर्शन की,
गुरू तेरा भिखारी हूँ।।
करी में धाम चौरासी,
फिरा केदार और काशी,
मिले ना आप अविनाशी,
हुआ हैरान भारी हूँ,
दिला दो भिख दर्शन की,
गुरू तेरा भिखारी हूँ।।
लगाई आप कहां देरी,
करो सुधि आय के मेरी,
दरश दे मेटद्यो फेरी,
सदा मैं यादगारी हूँ,
दिला दो भिख दर्शन की,
गुरू तेरा भिखारी हूँ।।
भारती कल्याण यों गावे,
तेरा दीदार मन भावे,
स्वर्ग और मोक्ष नही चावें,
चरण विश्राम धारी हूँ,
दिला दो भिख दर्शन की,
गुरू तेरा भिखारी हूँ।।
दिला दो भीख दर्शन की,
गुरू तेरा भिखारी हूँ,
गुरू तेरा भिखारी हूँ,
गुरू तेरा भिखारी हूँ,
दिला दो भिख दर्शन की,
गुरू तेरा भिखारी हूँ।।
गायक – मनोहर परसोया।
कविता साउँण्ड किशनगढ़।
Beautiful lyrics