आता रहता हूँ मैं दर तुम्हारे मगर,
कभी तुम भी मेरे घर आया करो,
सुनते हो सांरे सबके दिल की सदा,
कभी अपने भी दिल की सुनाया करो,
आता रहता हूँ मै दर तुम्हारे मगर,
कभी तुम भी मेरे घर आया करो।।
तर्ज – मैं तेरे इश्क़ में।
सबपे करते हो तुम मेहरबानियां,
ग़म के मारों की सुनकर कहानियां,
देते हो इस कदर प्यार सबको मगर,
क्या ये कहता नहीं दिल तुम्हारा कभी,
कभी मेरी भी सुनने को आया करो,
आता रहता हूँ मै दर तुम्हारे मगर,
कभी तुम भी मेरे घर आया करो।।
हर एक डूबे को पल में उबारते,
सबका सोया मुकद्दर संवारते,
डाल कर तुम नज़र करते ऐसा असर,
हो मिटाते सदा सबके दुःख दर्द तुम,
पर ना यूँ दर्द अपना छुपाया करो,
आता रहता हूँ मै दर तुम्हारे मगर,
कभी तुम भी मेरे घर आया करो।।
है ये विनती मेरी तुमसे सांवरे,
रखना सर पे सदा अपनी छाँव रे,
है ‘दीवाना’ मेरा दिल तेरा सांवरे,
तुम हो मेरे अगर है कसम ये तुम्हे,
राज़ हमको भी अपना सुनाया करो,
आता रहता हूँ मै दर तुम्हारे मगर,
कभी तुम भी मेरे घर आया करो।।
आता रहता हूँ मैं दर तुम्हारे मगर,
कभी तुम भी मेरे घर आया करो,
सुनते हो सांरे सबके दिल की सदा,
कभी अपने भी दिल की सुनाया करो,
आता रहता हूँ मै दर तुम्हारे मगर,
कभी तुम भी मेरे घर आया करो।।
Singer – Neeraj Nirala Yadav