गुरुवर ने आकर जगा दिया,
चौरासी की नींद में,
गुरुवर ने आके जगा दिया,
सतगुरु जी ने आके जगा दिया,
चौरासी की नींद में।।
पता नही मैं कौन था,
आया कहा से क्या पता,
कृपा करी गुरुदेव जी ने,
काग से हंसा बना दिया,
चौरासी की नींद में,
गुरुवर ने आके जगा दिया,
चौरासी की नींद में।।
मोती था एक सिप में,
सिप समुद्र में डाल दिया,
मेहर करि गुरुदेव जी ने,
भवसागर से उबार दिया,
चौरासी की नींद में,
गुरुवर ने आके जगा दिया,
चौरासी की नींद में।।
अंत समय की भूल थी,
भूल में वस्तु अमोल थी,
दया करि गुरुदेव जी ने,
अमृत प्याला पिला दिया,
चौरासी की नींद में,
गुरुवर ने आके जगा दिया,
चौरासी की नींद में।।
गुरुवर ने आकर जगा दिया,
चौरासी की नींद में,
गुरुवर ने आके जगा दिया,
सतगुरु जी ने आके जगा दिया,
चौरासी की नींद में।।
प्रेषक – दीपक आरदी।
9131010004