कुछ नहीं बिगड़ेगा तेरा,
हरि शरण आने के बाद,
हर खुशी मिल जाएगी तुझे,
चरणों में झुक जाने के बाद,
कुछ नही बिगड़ेगा तेरा,
हरी शरण आने के बाद।।
प्रेम के मंजिल के राही,
कष्ट पाते है मगर,
बीज फलता है सदा,
मिट्टी में मिल जानें के बाद,
कुछ नही बिगड़ेगा तेरा,
हरी शरण आने के बाद।।
देखकर काली घटा को,
ऐ भ्रमर मत हो निराश,
बंद कलियाँ भी खिलेगी,
रात ढल जाने के बाद,
कुछ नही बिगड़ेगा तेरा,
हरी शरण आने के बाद।।
पूछो इन फूलों से जाकर,
छाई है कैसे बहार,
कब तलक काटों पे सोया,
डाल पर आने के बाद,
कुछ नही बिगड़ेगा तेरा,
हरी शरण आने के बाद।।
जब तलक है भेद मन में,
कुछ नहीं कर पाएगा,
रंग लाएगा ये साधन,
भेद मिट जाने के बाद,
कुछ नही बिगड़ेगा तेरा,
हरी शरण आने के बाद।।
कुछ नहीं बिगड़ेगा तेरा,
हरि शरण आने के बाद,
हर खुशी मिल जाएगी तुझे,
चरणों में झुक जाने के बाद,
कुछ नही बिगड़ेगा तेरा,
हरी शरण आने के बाद।।
स्वर – पूज्य राजन जी महाराज।
प्रेषक – सुमित सिंह
9507206114