निराला शिव भोला देव निराला,
अमृत देवों को देकर,
जहर को खुद पी डाला,
निरालां शिव भोला देव निराला।।
सर्प बिच्छू श्रृंगार हैं इनके,
माथे चंदा दमके,
नंदी बैल सवारी इनकी,
शीश से गंगा छलके,
बड़ा ही सुंदर लागे भोला,
बाघमबर वाला,
निरालां शिव भोला देव निराला।।
जिनका ना कोई माई बाप है,
न कोई भईया बहना,
ताऊ चाचा मामा मौसा,
फूफा भी कोई है ना,
मुंह बोले ही रिश्तों का,
परिवार बना डाला,
निरालां शिव भोला देव निराला।।
चोर चढ़ा शिव लिंग के ऊपर,
जाऊंगा घंटे लेकर,
प्रगट हुए जब शिव शंकर,
सहम गया वो डर कर,
देख समर्पण भोले ने,
धनवान बना डाला,
निरालां शिव भोला देव निराला।।
जल के इक लोटे से ही,
शिव जी खुश हो जाते,
दीन भाव से जो भी,
इनके द्वारे पे आ जाते,
‘श्याम’ बड़ा है दयालु भोला,
भक्तों का रखवाला,
निरालां शिव भोला देव निराला।।
निराला शिव भोला देव निराला,
अमृत देवों को देकर,
जहर को खुद पी डाला,
निरालां शिव भोला देव निराला।।
लेख एवं स्वर – घनश्याम मिढ़ा।
भिवानी, मोबाइल – 9034121523