ये तो राजा महाराजा है,
मेरे भोलेनाथ,
कष्ट हरते है भक्तो के,
ये दिन रात।।
बाबा महाकाल की है,
महिमा निराली,
पीते हैं भंगिया ये,
भर भर के प्याली,
कैलाश वासी है,
मेरे भोलेनाथ,
कष्ट हरते है भक्तो के,
ये दिन रात।।
उज्जैनी आकर के,
शीश जो झुकाते,
मुंह मांगा वर भक्त,
भोले से पाते,
इनकी कृपा की,
होती है बरसात,
कष्ट हरते है भक्तो के,
ये दिन रात।।
ये तो राजा महाराजा है,
मेरे भोलेनाथ,
कष्ट हरते है भक्तो के,
ये दिन रात।।
स्वर – जितेंद्र त्रिपाठी।
संगीत – डॉ. विजय गोथरवाल।
रचियेता – सतीश गोथरवाल।
8959791036
https://youtu.be/at2hbAYOR9o