ऐ भोले मेरे ऐ बाबा मेरे,
तुझमे निराली बात,
देता है नित नयी नयी,
भक्तों को तू सौगात।।
तर्ज – ए जाने चमन।
भक्तों के हित के कारण,
बिष कंठ में धरा,
बिष पान करके तुमने,
जग को किया सनाथ,
ऐ भोलें मेरे ऐ बाबा मेरे।।
अपने भगत के कारण,
गंगा को सिर धरा,
फिर शीश से बहादी,
धरती पे गंगा मात,
ऐ भोलें मेरे ऐ बाबा मेरे।।
भक्ति मिली तेरी जिसे,
तक़दीर बन गयी,
काली अंधेरी रात को,
तूने किया प्रभात,
ऐ भोलें मेरे ऐ बाबा मेरे।।
तू है बड़ा दयालु,
कृपा बहा रहा,
‘राजेन्द्र’ के भी सिर पे,
रखदे दया का हाथ,
ऐ भोलें मेरे ऐ बाबा मेरे।।
ऐ भोले मेरे ऐ बाबा मेरे,
तुझमे निराली बात,
देता है नित नयी नयी,
भक्तों को तू सौगात।।
गीतकार / गायक – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।
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