ये तो अंगूठी मुझे प्राणो से प्यारी,
इसे कौन ले आया,
इसे कौन ले आया,
मेरे राघव से,
मेरे राघव से।।
तर्ज – कौन दिशा में।
माता भी छोड़ी मैंने पिता भी छोड़े,
माता भी छोड़ी मैंने पिता भी छोड़े,
छोड़ी जनकपुरी मेरे बाबुल की,
बाबुल की,
ये तो अँगूठी मुझे प्राणों से प्यारी,
इसे कौन ले आया,
इसे कौन ले आया,
मेरे राघव से,
मेरे राघव से।।
राम भी छोड़े मैंने लखन भी छोड़े,
राम भी छोड़े मैंने लखन भी छोड़े,
मैंने छोड़ी पंचवटी मेरे रघुवर की,
रघुवर की,
ये तो अँगूठी मुझे प्राणों से प्यारी,
इसे कौन ले आया,
इसे कौन ले आया,
मेरे राघव से,
मेरे राघव से।।
पत्तों की ओट से हनुमत बोले,
पत्तों की ओट से हनुमत बोले,
इसे हम लेके आए,
मेरे राघव से,
राघव से,
ये तो अँगूठी मुझे प्राणों से प्यारी,
इसे कौन ले आया,
इसे कौन ले आया,
मेरे राघव से,
मेरे राघव से।।
ये तो अंगूठी मुझे प्राणो से प्यारी,
इसे कौन ले आया,
इसे कौन ले आया,
मेरे राघव से,
मेरे राघव से।।
स्वर – शंकर जी रामानंदी।
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