वे गया थे,
हंस रा असवार म्हारी बाण माता,
रे मेवाड आवे ने डेरो घालियो रे,
गढ चित्तोड माए ने।।
अठे थौने लाया बप्पा राव,
म्हारी बाण माता रे,
मेवाड आवे ने डेरो घालियो रे,
गढ चित्तोड माए न।।
गहलोत वंशज जोडे दोनो हाथ,
सुमेरपुर माए ने,
बाण माताजी वेगा आवता रे,
सुमेरपुर माए ने।।
गला मे सोवे थारे नवसर हार,
म्हारी बाण माता रे,
हाथा मे गजरा काना मे कुंडलिया रे,
म्हारी बाण माता रे।।
हाथा मे सोवे है धनुष बाण,
म्हारी ब्राम्हणी माता रे,
हाथ मे सुदर्शन चक्र सोवता रे,
म्हारी बाण माता रे।।
थौने पुजे मेवाड मे दरबार,
म्हारी बाण माता रे,
हंस री असवारी लागे सोवणी रे,
गढ चित्तोड माए ने।।
भला पधारो मारवाड रे माए,
म्हारी बाण माता रे,
गोयल ने सिसोदिया वंशज ध्यावता रे,
म्हारी बाण माता रे।।
अक्षर लिखियो चित्तोड गढ रे माए,
म्हारी बाण माता रे,
भाग तो जगाया आपरे टाबरो रा,
गढ चित्तोड माए ने।।
रामेश्वर गावे थौरे चरणो माए,
म्हारी बाण माता रे,
जो कोई शरणे आवे पार लगावजो रे,
गढ चित्तोड माए ने।।
वे गया थे,
हंस रा असवार म्हारी बाण माता,
रे मेवाड आवे ने डेरो घालियो रे,
गढ चित्तोड माए ने।।
गायक – रामेश्वर माली।
लेखक – सत्यपालसिंह राजपूत।