बेड़ी म्हारी पार उतारो धणी रामा,
थोड़ी सी दिराऊ अजमाल जी री आण,
दादू रिणासी री आण,
रिखियो री सायल सुणो धणी रामा।।
आद जुगादि अमर थोरी आशा,
तुर बिन तारण दीन दयाल,
पुर बिन पाँख पंखेरू किंया उड़िया,
थे मात पिता मैं झोले बाल।।
सतजुग पाट प्रह्लाद राजा पूरियों,
नरसिंग रूप धरियो किरतार,
खम्भ फाड़ हिरणाकुश मारियो,
उटे कृष्ण कला हरि ले अवतार।।
त्रेता जुग राजा हरिश्चंद्र सिद्दा,
सत सिद्दा तारादे नार,
सत रे काज वे राज तज दीनो,
तो ही नहीं छोड़ी वे सत री लार।।
द्वापर में राजा जोठल सिद्दा,
सत सिद्दा ए द्रोपद नार,
सत रे काज हिमाले जाय गलियां,
पछे आम लगायो राजा पांडु रे द्वार।।
कलजुग में राजा बलवंत सिद्दा,
बावन रूप धरियो किरतार,
तीन पावन्डा धरती नापी,
जणो उठे झूपी बनाईं बलि रे द्वार।।
समदो पार बोहितो सिंवरे,
जहाज लाया हरि बारे ताण,
देउ शरणे हरजी बोले जणा,
मेहर करो धणी थे मोटा मेहमाण।।
बेड़ी म्हारी पार उतारो धणी रामा,
थोड़ी सी दिराऊ अजमाल जी री आण,
दादू रिणासी री आण,
रिखियो री सायल सुणो धणी रामा।
गायक – ओम सा पल्ली।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052