पचरंग नेजा धारी पीर जी,
दोहा – केसरियो बागों बणियो,
तूरे तार हजार,
बींद बणिया है रामदेव,
रामा ही राजकुमार।
पचरंग नेजा धारी पीर जी,
आप चढ़ो असवारी।।
सिंवरू रामदेव सन्तों रा कारण,
थाने भूलू नहीं लिगारी,
असंग जुगो रो चाकर राज रो,
चोटी काटी हैं हमारी।।
तीन मास तुरत रो पंडित,
मन में ऐसी धारी,
पहला जाय जोधाणो चेताऊँ,
पीछे दुनियां सारी।।
हरजी चढ़ जोधाने आयो,
निवण करे नर नारी,
शंख घड़ियालों बाजे नोपतो,
झालर री झणकारी।।
कलश थाप ने जमो जगायो,
रुपया दो हजारी,
सवा लाख रो थेबो लागो,
धन लेवण री धारी।।
हाकम हवलदार नौकर राज रा,
चुगलिखोर खाड़ी सारी,
एक धुताड़ो एसो आवियो,
ज्याने ठग लिदी दुनिया सारी।।
केवे हाकम सुण ले हरजी,
सुण ले बात हमारी,
जोधाणे रो राजा बंका कहिजे,
म्हारो हाकम नाम हजारी।।
केवे हाकम सुण ले हरजी,
सुण ले बात हमारी,
परचो देवे तो लोक पतीजे,
नितर होवे खरारी।।
हरजी ने लेके दियो जेल में,
कियो जाबतो भारी,
दिन उगे थारी पड़े पारखा,
पछे कने करेला यारी।।
सतयुग में सिरियादे सिंवरे,
अग्नि में बच्चा उबारी,
खम्ब फाड़ हिरणाकुश मारियो,
नख से देंत विडारी।।
त्रेता में रावण री लारा,
भार चढ़िया सीता री,
रावण मार लंका ने तोड़ी,
पाज बांधी पत्थरा री।।
द्वापर में केरवो ने दलिया,
पांडु पांच उबारी,
राणी द्रोपदा रो चीर पूरियों,
डाल पाकी थी आम्बा री।।
गज और ग्रह लड़े जल भीतर,
लड़त लड़त गज हारी,
गरुड़ छोड़ पैदल होय धाया,
थे गज को लियो उबारी।।
रूपादे जमा में माले जद,
रावल किदी सवारी,
लेय खड़ग मारण ने धाया,
थे थाली भरदी फूला री।।
कानड़ा फूटा पाँव थोरा टूटा,
हेमर खोड़ो हंजारी,
के जायने थे पोडिया पियाल,
में आईं है मौत हमारी।।
कलाहीन कलजुग में कायम,
डरिया राज सू भारी,
के दुःखे आंख मौन्दा मोचे में,
शर्म छोड़ दी सारी।।
पल पल आव घटे पंडित री,
जोउं वाट रुणेचे री,
धूप खेयोडो गयो धूड़ में,
थू लागो पलीता री लारी।।
आयो नहीं अबे कद आसी,
कर में झेली कटारी,
मरने रा तो बाजा बाजे,
तोयन होवे पीरा री।।
ले कटारी मेलू कालजे,
जोर करू अंत भारी,
पेट फोड़ मोरो में निकले,
सुधरेला मौत हमारी।।
पीरजी आय ने पकड़ी कटारी,
साम्भल पीरो रा पुजारी,
भीड़ पड़या भक्तों रे भेळो,
मैं आण अजमल री धारी।।
पीरजी जाय महल में पूगा,
हेमर हीच करारी,
धूजी धरण थांबा थरहरिया,
हाकम ली हैं बलिहारी।।
केवे हाकम सुणो पीरजी,
सुण लो बात हमारी,
हमके अवसर छोड़ो जीवतो,
मु आयो शरण तुम्हारी।।
केवे हरजी सुण लो हाकम,
सुण लो बात हमारी,
तीन दिनों का तनक तमाशा,
कोड निकलेला भारी।।
पीर ने प्रसाद पंडित ने पोशागा,
देऊं राज दरबारी,
देवळ कराऊँ थारी ढाणी में,
दीखतो उठे पूजे नर नारी।।
अनड़ पहाड़ पीरा कीना पादरा,
नमिया नर अहंकारी,
हर शरणे भाटी हरजी बोलिया,
चरण कमल बलिहारी।।
पचरंग नेजा धारी पीर जी,
आप चढ़ो असवारी,
पिचरंग नेजा धारी गिरधर,
लाल चढ़ो असवारी।।
गायक – पुनाराम बेगड़।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052