वृन्दावन के वट वृक्षों पर,
राधे श्याम लिखा रखा है,
सूरदास के हर एक पद में,
प्रभु का नाम का छिपा रखा है।।
तर्ज – और इस दिल में क्या रखा है
बसे यहाँ रास रचैया,
चरावे वन वन गईया,
खिली बृज में फुलवारी,
बहे यहाँ जमुना मईया,
माखन चुराके,
बंसी बजाके,
मोहे सब बृज वासी,
बिहारी जी के चरण कमल में,
मुक्ति धाम बसा रखा है।
वृन्दावन के वट वृक्षों पर,
राधे श्याम लिखा रखा है,
सूरदास के हर एक पद में,
प्रभु का नाम का छिपा रखा है।।
कन्हैया बंसी वाला,
गले बैजंती माला,
बसों मेरे हृदय में,
आज यशुदा को लाला,
बंसी बजाके,
मन को लुभा के,
मोहे गोकुल वासी,
श्याम नाम के हर दाने पे,
सुख आराम लिखा रखा है।
वृन्दावन के वट वृक्षों पर,
राधे श्याम लिखा रखा है,
सूरदास के हर एक पद में,
प्रभु का नाम का छिपा रखा है।।
धन्य है बृज के वासी,
बनी यहाँ मुक्ति दासी,
है लीला अजब निराली,
झुके शंकर अविनासी,
डमरू छिपाके,
नारी कहा के,
गोपेश्वर बन बैठे,
काली नाग के हर एक फन पे,
प्रभु का पाँव छिपा रखा है।
वृन्दावन के वट वृक्षों पर,
राधे श्याम लिखा रखा है,
सूरदास के हर एक पद में,
प्रभु का नाम का छिपा रखा है।।
है बृज की लीला न्यारी,
बसे यहाँ बांके बिहारी,
ना ब्रम्हा पार पाया,
प्रभु मैं शरण तिहारी,
दर्शन दिखा के,
अपना बना के,
प्रेमी तेरे अधिकारी,
क्यों तेरे भक्ति मारग में,
होना बदनाम लिखा रखा है।
वृन्दावन के वट वृक्षों पर,
राधे श्याम लिखा रखा है,
सूरदास के हर एक पद में,
प्रभु का नाम का छिपा रखा है।।