खुजनेर बैठा खाटू वाला,
मैं तो जाऊंगी,
निशान उठा के,
पैदल दर्शन करके आऊँगी,
ज्योत मे जाके,
सर को झुका के,
किरतन गाउँगी,
ओ मैं तो झूमूँगी,
नाचूंगी गाउँगी,
खुजनेर बैठा खाटु वाला,
मैं तो जाऊंगी।।
तन मन धन और भाव से,
बाबा कि ज्योत जो जलाता,
श्याम प्रेमियो को लेकर के,
बाबा तो उसके घर आता,
किस्मत जगाए बिगड़ी बनाए,
सबको बताऊंगी,
ओ मैं तो झूमूँगी,
नाचूंगी गाउँगी,
खुजनेर बैठा खाटु वाला,
मैं तो जाऊंगी।।
जिसको दुनिया ने ठुक राया है,
श्याम उसे अपनाता,
किस्मत बदल जाती उसकी,
जो खुजनेर धाम में आता,
हारे का सहारा मेरा श्याम प्यारा,
सबको बताऊंगी,
ओ मैं तो झूमूँगी,
नाचूंगी गाउँगी,
खुजनेर बैठा खाटु वाला,
मैं तो जाऊंगी।।
एकादशी को खुजनेर मे,
भक्तो का मेला भरावे,
सारे भगत यहाँ मिलकर के,
श्याम प्रभू को रिझावे,
‘अलकनंदा’ तो गुणगांन गावे,
मैं तो आउंगी,
ओ मैं तो झूमूँगी,
नाचूंगी गाउँगी,
खुजनेर बैठा खाटु वाला,
मैं तो जाऊंगी।।
खुजनेर बैठा खाटू वाला,
मैं तो जाऊंगी,
निशान उठा के,
पैदल दर्शन करके आऊँगी,
ज्योत मे जाके,
सर को झुका के,
किरतन गाउँगी,
ओ मैं तो झूमूँगी,
नाचूंगी गाउँगी,
खुजनेर बैठा खाटु वाला,
मैं तो जाऊंगी।।
स्वर – अलकनंदा दीदी।