भटकते रहेंगे हम तो होके बावरे,
तेरे बिन जाये कहां ओ सांवरे।।
तेरे भरोसे हमने ये जग छोड़ा,
हे निर्मोही हमसे क्यों मुख मोड़ा,
विरहा जला ना डाले बन आग रे,
तेरे बिन जाये कहां ओ सांवरे।।
तुमने बुलाया हमें बंसी बजाके,
हम चली आई कितने सपने सजाके,
नटखट कन्हैया ऐसे मत भाग रे,
तेरे बिन जाये कहां ओ सांवरे।।
हम हैं तुम्हारे मोहन तू ही हमारा है,
तेरा ही सहारा हमको तेरा ही सहारा है,
श्याम शरण में ले ले यही भाव रे,
तेरे बिन जाए कहां ओ सांवरे।।
भटकते रहेंगे हम तो होके बावरे,
तेरे बिन जाये कहां ओ सांवरे।।
स्वर – श्री श्रीजी महाराज।
प्रेषक – विजय कुमार वर्मा।
मुरादाबाद।