प्रीत करके जो तूने है,
दिल को चुराया,
गया जबसे मथुरा तो,
वापस न आया।।
तर्ज – मोहम्मद रफी तू।
अदा मुस्कुराहट,
चलन ओर चितवन,
वो घुंघराले बालों की,
प्यारी लटकन,
तेरा रूप कोई,
नही भूल पाया,
गया जबसे मथुरा तों,
वापस न आया।।
मेरे और मोहन के,
दरम्यान होकर,
बसा है अजब इश्क,
मेहमान बनकर,
मेरे दिल को दूजा,
कोई भी न भाया,
गया जबसे मथुरा तों,
वापस न आया।।
तेरी याद हरपल,
मुझे यूँ सताये,
करूँ बंद आँखें तो,
निंदिया न आये,
तू रग रग में ‘राजू’ की,
ऐसा समाया,
गया जब से मथुरा तों,
वापस न आया।।
प्रीत करके जो तूने है,
दिल को चुराया,
गया जबसे मथुरा तो,
वापस न आया।।
गायक – राजू बिदुआ।
9179117103