करी गोपाल की सब होई,
जो अपनी पुरुषारथ मानत,
अति झूठो है सोई।।
साधन मंत्र जंत्र उद्यम बल,
ये सब डारौ धोइ,
जो कछु लिखि राखी नंदनंदन,
मेटि सके नहीं कोई,
करी गोपाल की सब होइ,
जो अपनी पुरुषारथ मानत,
अति झूठो है सोई।।
दुख सुख लाभ अलाभ समुझि तुम,
कतहिं मरत हौ रोइ,
सूरदास स्वामी करुनामय,
स्याम-चरन मन पोई,
करी गोपाल की सब होइ,
जो अपनी पुरुषारथ मानत,
अति झूठो है सोई।।
करी गोपाल की सब होई,
जो अपनी पुरुषारथ मानत,
अति झूठो है सोई।।
स्वर – श्री जगदीश नारायण।
प्रेषक – ऋषि कुमार विजयवर्गीय।
7000073009