ओ भोले नाथ जी,
तेरा द्वार बड़ा चंगा,
ओ महादेव जी,
तेरा द्वार बड़ा चंगा,
सिर पर सोहे भोले,
सदा मात गंगा,
ओ भोलें नाथ जी,
तेरा द्वार बड़ा चंगा।।
कैलाशो के वासी,
महादेव त्रिपुरारी,
डम डम डमरू बोले,
नंदी की सवारी,
चिलम लगाओ भोला,
पियो सदा भंगा,
ओ भोलें नाथ जी,
तेरा द्वार बड़ा चंगा।।
द्वार तेरे जो भी आया,
खाली ना जावे,
सारा ब्रम्हांड तेरे,
आगे सर झुकावे,
मस्त मलंगा भोला,
भस्मी लगावत अंगा,
ओ भोलें नाथ जी,
तेरा द्वार बड़ा चंगा।।
भोले के भक्त होते,
सबसे निराले,
जय महाकाल भोले,
डमरूवा वाले,
‘लहरु’ ये गाता शंकर,
तेरे सदा रंग में रंगा,
ओ भोलें नाथ जी,
तेरा द्वार बड़ा चंगा।।
ओ भोले नाथ जी,
तेरा द्वार बड़ा चंगा,
ओ महादेव जी,
तेरा द्वार बड़ा चंगा,
सिर पर सोहे भोले,
सदा मात गंगा,
ओ भोलें नाथ जी,
तेरा द्वार बड़ा चंगा।।
स्वर – लेहरुदास जी वैष्णव।
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