एक भक्त शिरोमणि नाम,
समचाणा धाम,
मुरारी जैसा कोए नहीं।।
वो त आलू सिंह का चैला ऐ,
वो त भक्ति के महां खेला ऐ,
योहे रोज का काम,
समचाणा धाम,
मुरारी जैसा कोए नहीं।।
उसने जिस पे थर दिया हाथ ऐ,
वो त फुले दिन रात ऐ,
वो सेवा करः निष्काम,
समचाणा धाम,
मुरारी जैसा कोए नहीं।।
मेरे सतगुरु हरपल मेरे साथ सं,
सिर प मेरे रघुनाथ सं,
मन्नै मिलगे सीताराम,
समचाणा धाम,
मुरारी जैसा कोए नहीं।।
यो राजपाल चित का चैला ऐ,
कदे लेता ना रुपया धेला ऐ,
अशोक भक्त गुणा गाम,
समचाणा धाम,
मुरारी जैसा कोए नहीं।।
एक भक्त शिरोमणि नाम,
समचाणा धाम,
मुरारी जैसा कोए नहीं।।
गायक – नरेंद्र कौशिक जी।
प्रेषक – राकेश कुमार जी।
खरक जाटान(रोहतक)
9992976579