जिस दिन सिर मैं अपना,
कहीं और झुकाऊं,
मेरे सांवरिया सरकार,
मैं उस दिन मर जाऊं,
जिस दिन भूल के तुमको,
गैर के गुण गाऊं,
मेरे बांके बिहारी सरकार,
मैं उस दिन मर जाऊं।।
जिस दिन याद करूं ना तुम को,
खत्म उसी दिन जीवन हो,
जिस में तेरा नाम ना गूंजे,
खत्म उसी पल धड़कन हो,
जिस दिन दिल से तेरी,
मैं याद भुलाऊं,
मेरे सांवरिया सरकार,
मैं उस दिन मर जाऊं।।
ऐसा कोई दिन ना आए,
ऐसी कोई रात ना हो,
जिसमें तेरा हो ना चिंतन,
ऐसी कोई बात ना हो,
जिस दिन ध्यान तेरा,
मैं लगा ना पाऊं,
मेरे सांवरिया सरकार,
मैं उस दिन मर जाऊं।।
‘चित्र विचित्र’ को अंत समय में,
दर्शन देने आ जाना,
अंतिम पल में सागर को,
तुम ही लेने आ जाना,
मैं सुंदर सूरत तेरी,
नैनों में बसाऊं,
मेरे सांवरिया सरकार,
मैं उस दिन मर जाऊं।।
जिस दिन सिर मैं अपना,
कहीं और झुकाऊं,
मेरे सांवरिया सरकार,
मैं उस दिन मर जाऊं,
जिस दिन भूल के तुमको,
गैर के गुण गाऊं,
मेरे बांके बिहारी सरकार,
मैं उस दिन मर जाऊं।।
गायक – श्री चित्र विचित्र जी महाराज।
प्रेषक – शेखर चौधरी।
मो – 9754032472
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