सलोने श्याम को जब देखूं,
दुनिया भूल जाती हूँ,
नज़र हटती नहीं सारी,
तमन्ना भूल जाती हूँ,
सलोने श्याम को जब देखूँ,
दुनिया भूल जाती हूँ।।
तर्ज – ये आँखे देखकर हम।
कोई दूजा नहीं ऐसा,
जो नज़रों में समा जाए,
कही फिर और जाऊं में,
ये कान्हा भूल जाती हूँ,
सलोने श्याम को जब देखूँ,
दुनिया भूल जाती हूँ।।
चलाते बाण नैनो से,
ये जिस दम मुस्कुराते है,
के दिल में जो कुछ रहता है,
कहना भूल जाती हूँ,
सलोने श्याम को जब देखूँ,
दुनिया भूल जाती हूँ।।
बड़ी प्यारी सी चितवन है,
मेरे सरकार की ऐसी,
कहीं कुछ और देखूं मैं,
देखना भूल जाती हूँ,
सलोने श्याम को जब देखूँ,
दुनिया भूल जाती हूँ।।
नज़ारा होता है दीदार का,
कुछ ऐसा ‘चोखानी‘,
के वापस घर जाने का,
अपना रस्ता भूल जाती हूँ,
सलोने श्याम को जब देखूँ,
दुनिया भूल जाती हूँ।।
सलोने श्याम को जब देखूं,
दुनिया भूल जाती हूँ,
नज़र हटती नहीं सारी,
तमन्ना भूल जाती हूँ,
सलोने श्याम को जब देखूँ,
दुनिया भूल जाती हूँ।।
Singer – Shipra Saloni