भैरूजी रा मन्दिर माही,
मोटा घुँघरा बाजे।
दोहा – पगे घुँघरा बांध्या भैरूजी,
पारस रे दरबार,
मेहर करी भगता रे,
ऊपर तू हैं मोटो दातार।
भैरूजी रा मन्दिर माही,
मोटा घुँघरा बाजे,
मोटा घुँघरा बाजे,
पार्श्व री भक्ति में,
भैरूजी नाचे छम छम हा।।
प्रेम ने वाह्ल रो दरियो थे वणजो,
दरियो थे वणजो,
वैर ने जेर भुलावजो जी,
भैरूजी रा मंदिर माही,
मोटा घुँघरा बाजे।।
भीड़ पड़ी है भगता ने,
भैरूजी थे आवो,
भैरूजी थे आवो,
दुखड़ा मिटाओ सुखड़ा लावो रे,
भैरूजी रा मंदिर माही,
मोटा घुँघरा बाजे।।
पारस री भक्ति थी भक्तों,
भव दुःख जावे,
शिव सुख आवे,
संगी थोरी महिमा लिखावे जी,
भैरूजी रा मंदिर माही,
मोटा घुँघरा बाजे।।
नाकोड़ा दरबार विनवे,
भगतो रे बेले अइजो,
माधुरी गावे अइजो,
देव मोरा थे सबरी रक्षा करजो रे,
भैरूजी रा मंदिर माही,
मोटा घुँघरा बाजे।।
भैरूजी रा मंदिर माही,
मोटा घुँघरा बाजे,
मोटा घुँघरा बाजे,
पार्श्व री भक्ति में,
भैरूजी नाचे छम छम हा।।
रचनाकार – संगीता बागरेचा।
9594480817
गायिका – माधुरी वैष्णव।