गुरु कृपा बरस गयी रे,
तक़दीर बदल गयी रे,
मेरे गुरु की ऐसी नज़र पड़ी,
तस्वीर बदल गयी रे।।
मेरे गुरुवर ज्ञानी ध्यानी है,
सारा आगम पहचाने,
इन्हें काँच-कनक में समता है,
ये राग-द्वेष न जाने,
बढ़ रहे अनवरत मोक्ष-मार्ग पर,
मुक्ति-वधु को पाने,
वो लोग अभागे घर बैठे,
जो ऐसे गुरु न मानें,
गुरु-चरण छुए जब हाथों ने,
तो लकीर बदल गयी रे,
गुरु कृपा बरस गई रे,
तक़दीर बदल गयी रे,
मेरे गुरु की ऐसी नज़र पड़ी,
तस्वीर बदल गयी रे।।
गुरु भेष दिगम्बर धारी है,
तन मन धन से वैरागी,
ये आप तिरे पर को तारे,
इन्हें मुक्ति-धूनी है लागी,
हर रस से नीरस रहते है,
हैं आत्म-तत्व अनुरागी,
ऐसे गुरुवर को पाकर के,
किस्मत अपनी है जागी,
गुरु-वचन सुने जब कानो ने,
तदबीर बदल गयी रे,
गुरु कृपा बरस गई रे,
तक़दीर बदल गयी रे,
मेरे गुरु की ऐसी नज़र पड़ी,
तस्वीर बदल गयी रे।।
गुरु कृपा बरस गयी रे,
तक़दीर बदल गयी रे,
मेरे गुरु की ऐसी नज़र पड़ी,
तस्वीर बदल गयी रे।।
गायक / प्रेषक – डॉ राजीव जैन।
8136086301