आई कलकत्ता में शुभ घड़ियां,
श्री मंजू बाईसा आया पावनिया,
श्री मंजू बाईसा आया पाँवनिया।।
तर्ज – दुनिया चले न।
बसन्त पंचमी का आया उत्सव,
बाबोसा भगवान का जन्मोत्सव,
ढोल नगाड़े बाजे शहनाईया,
श्री मंजू बाईसा आया पाँवनिया।।
दुल्हन सी नगरी सजाई है,
राहों में पलके बिछाई है,
घर द्वार सजे बांधे तोरणियाँ,
श्री मंजू बाईसा आया पाँवनिया।।
श्री मंजू बाईसा का करने दीदार,
कबसे खड़े है नर ओर नार,
दर्शन को तरस रही है अंखिया,
श्री मंजू बाईसा आया पाँवनिया।।
श्री बाबोसा मंडल की राखी है लाज,
प्राची गाये मंजू बाईसा आया है आज,
दिलबर भक्तो में छाई खुशिया,
श्री मंजू बाईसा आया पाँवनिया।।
आई कलकत्ता में शुभ घड़ियां,
श्री मंजू बाईसा आया पावनिया,
श्री मंजू बाईसा आया पाँवनिया।।
गायिका – प्राची जैन मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया दिलबर।
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