बिगड़े हरेक काम को,
उसने बना लिया,
जिसने भी हनुमान को,
मन से मना लिया।।
तर्ज – दिल में तू श्याम नाम की
अंजनी माँ के लाल की,
महिमा महान है,
महिमा महान है,
कलयुग में पूजे आपको,
सारा जहान है,
सारा जहान है,
एक बार जिसने शीश को,
एक बार जिसने शीश को,
दर पे झुका लिया,
जिसने भी हनुमान को,
मन से मना लिया।।
सीता से राम बिछड़े है,
रोये बिलख बिलख कर,
रोये बिलख बिलख कर,
हर जगह उनको ढूंढते,
वन में भटक भटक कर,
वन में भटक भटक कर,
मिल ना पाते जीवन भर,
मिल ना पाते जीवन भर,
उन्हें पल में मिला दिया,
जिसने भी हनुमान को,
मन से मना लिया।।
लक्ष्मण का हाल देखिये,
दुनिया से जा रहे है,
दुनिया से जा रहे है,
विष्णु अवतार राम भी,
आंसू बहा रहे है,
आंसू बहा रहे है,
दीपक था जो वो बुझने को,
दीपक था जो वो बुझने को,
उसे पल में जला दिया,
जिसने भी हनुमान को,
मन से मना लिया।।
दुनिया में देव आपसा,
आता नहीं नजर,
आता नहीं नजर,
बनते है काम उसके जो,
आते है तेरे दर,
आते है तेरे दर,
एकबार जिसने शीश को,
एकबार जिसने शीश को,
इस दर पे झुका लिया,
जिसने भी हनुमान को,
मन से मना लिया।।
बिगड़े हरेक काम को,
उसने बना लिया,
जिसने भी हनुमान को,
मन से मना लिया।।