मैं देखूं जिस ओर प्रभु जी,
सामने तेरी सूरतिया,
मुख पर तेरा नाम प्रभु जी,
दिल में तेरी मूरतिया,
सामने तेरी सूरतिया।।
तर्ज – मैं देखूं जिस ओर सखी।
दर दर भटकूं हरि गुण गांऊ,
फिर भी तेरा दरस न पाऊं,
तड़पूं निसदिन…
तड़पूं निसदिन ऐसो प्रभुजी,
जैसे जल मे माछरिया,
मैं देखूँ जिस ओर प्रभु जी,
सामने तेरी सूरतिया,
सामने तेरी सूरतिया।।
मैं कपटी खल कामी प्रभुजी,
कुटिल कुमारग गामी प्रभुजी,
पाप में मैं तो…..
पाप में मैं तो ऐसे डूबा,
जैसे जल मे गागरिया,
मैं देखूँ जिस ओर प्रभु जी,
सामने तेरी सूरतिया,
सामने तेरी सूरतिया।।
मैं प्रभु तेरी शरण में आया,
चरणों मे प्रभु शीश झुकाया,
लाज हमारी…..
लाज हमारी अब तो राखो,
अब तो राखो सावरिया,
मैं देखूँ जिस ओर प्रभु जी,
सामने तेरी सूरतिया,
सामने तेरी सूरतिया।।
मैं देखूं जिस ओर प्रभु जी,
सामने तेरी सूरतिया,
मुख पर तेरा नाम प्रभु जी,
दिल में तेरी मूरतिया,
सामने तेरी सूरतिया।।
रचनाकार – श्री ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र।
स्वर – कुमारी कृतिका एवं कुमारी स्वाति खरे।