बाबोसा मैं हूँ पतंग,
तेरे हाथों में है डोर,
कही टूट नही जाये,
ये डोर बड़ी कमजोर,
बाबोसा मैं हूं पतंग।।
तर्ज – अफसाना लिख रही हूँ।
तेरी मर्जी चाहे जैसे,
उड़ाये अम्बर में-2,
गर छोड़ दे तु मुझको,
तो कट जाऊं पलभर में-2,
तेरे दम पर उड़ती जाऊं-2,
तू उड़ाये जिस ओर,
कही टूट नही जाये,
ये डोर बड़ी कमजोर,
बाबोसा मैं हूं पतंग।।
तेरी मर्जी के बिना,
एक पत्ता न हिले-2,
बाबोसा तेरी हुकूमत,
सारी दुनिया में चले-2,
देखा न देव तुझसा-2,
बलवान न कोई और,
कही टूट नही जाये,
ये डोर बड़ी कमजोर,
बाबोसा मैं हूं पतंग।।
कभी डोर न टूटेगी,
मुझको विशवास है-2,
तेरे हाथों उड़ती रहूँ मैं,
मेरे दिल की ये आस है-2,
‘दिलबर’ बिन बाबोसा,
‘रीना’ नही जग में ठोर,
कही टूट नही जाये,
ये डोर बड़ी कमजोर,
बाबोसा मैं हूं पतंग।।
बाबोसा मैं हूँ पतंग,
तेरे हाथों में है डोर,
कही टूट नही जाये,
ये डोर बड़ी कमजोर,
बाबोसा मैं हूं पतंग।।
गायिका – रीना सोनी।
रचनाकार – दिलीपसिंह सिसोदिया दिलबर।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365