खुल गई किस्मत हमारी,
आपके दरबार में,
मिल गई खुशियां भी सारी,
आपके दरबार में।।
तर्ज – सांवरी सूरत पे मोहन।
सदियों से भरती ही आई,
तेरे दर पे झोलियाँ,
सिलसिला अब भी है जारी,
आपके दरबार में,
मिल गई खुशियां भी सारी,
आपके दरबार में।।
आपने इस कड़वे मन में,
प्यार इतना भर दिया,
मिट गई नफरत हमारी,
आपके दरबार में,
मिल गई खुशियां भी सारी,
आपके दरबार में।।
बिन कारण और गुण अहम में,
बाबा मैं मदहोश था,
उतरी है सारी खुमारी,
आपके दरबार में,
मिल गई खुशियां भी सारी,
आपके दरबार में।।
सांवरे हमें आपके बिन,
दूसरा ना आसरा,
‘सोनू’ का विश्वास भारी,
आपके दरबार में,
मिल गई खुशियां भी सारी,
आपके दरबार में।।
खुल गई किस्मत हमारी,
आपके दरबार में,
मिल गई खुशियां भी सारी,
आपके दरबार में।।
Singer – Nisha Soni