शनि डरे रे भूत भागे,
छींद बारे दादा के आगे।।
जो कोई लेत है नाम तुम्हारो-2,
सोई किस्मत जागे,
छींद बारे दादा के आगे।।
सब की आशा पूरी करते-2,
छल और कपट जो त्यागे,
छींद बारे दादा के आगे।।
रामायण का पाठ करे जो-2,
दया धर्म चित लागे,
छींद बारे दादा के आगे।।
‘पदम’ के मन बसे मारुति नंदन-2,
झोली भरे बिना मांगे,
छींद बारे दादा के आगे।।
शनि डरे रे भूत भागे,
छींद बारे दादा के आगे।।
गायक – गोवर्धन प्रजापति।
लेखक / प्रेषक – डालचंद कुशवाह ‘पदम्’।