रथङो मोड़ दो माजीसा,
थारै भक्ता की ओर,
टाबरिया बुलावे मैया,
आवो म्हारी ओर,
आवो म्हारी ओर,
मैया आओ म्हारी ओर,
टाबरिया बुलावे मैया,
आवो म्हारी ओर।।
मैं कदसू अर्जी कीनी,
थै नही सुणीया माजीसा,
कोई अर्जी पढ़कर मैया,
कर लो थोड़ा गौर,
टाबरिया बुलावे मैया,
आवो म्हारी ओर।।
खींच लो नकेल थारे,
रथड़ा री माजीसा,
ढीली छोढयां माता,
थाने ले जासी कठै ओर,
टाबरिया बुलावे मैया,
आवो म्हारी ओर।।
दास कवै यो,
प्रेम को नातो,
कोई प्रीत के बंधन की माता,
कसके बांधो डोर,
टाबरिया बुलावे मैया,
आवो म्हारी ओर।।
रथङो मोड़ दो माजीसा,
थारै भक्ता की ओर,
टाबरिया बुलावे मैया,
आवो म्हारी ओर,
आवो म्हारी ओर,
मैया आओ म्हारी ओर,
टाबरिया बुलावे मैया,
आवो म्हारी ओर।।
स्वर / प्रेषिका – उमा शर्मा चित्तौड़गढ़।