धन अम्बे जोगणिया रानी,
थारी महिमा जग में जानी।
दोहा – मात जोगणिया आप हो,
तो खुब करू मनवार,
लज्जा मोरी राख जो,
मां सिंह री असवार।।
धन अम्बे जोगणिया रानी,
थारी महिमा जग में जानी,
थाने ऋषि मुनि पहचानी,
ओ माता जोगणिया,
ओ माता जोगणिया।।
मन्दिर मज मगरा रे माई,
जारी शोभा घणी मां प्यारी,
थाने वैदा में मनाणी,
ओ माता जोगणिया,
ओ माता जोगणिया,
ओ सन मुख भैरू है अगवानी,
बणीया दोय कुण्ड बड़ा नामी,
बैवे नार मुखी छै पानी,
औ माता जोगणिया।।
बणीयो बैखू टो छै भाई,
अरजी छोटी सी सुनाई,
मैं तो पडीयो चरण रे माई,
ओ माता जोगणिया,
ओ माता जोगणिया,
अर्जी छोटी सी सुन लीजे,
कीरपा बाजडली पर कीजै,
मारी खाली गोद भर दीजे,
ओ माता जोगणिया,
ओ माता जोगणिया।।
पुत जब देदीनो है माय,
बाणीयो मन में खुसी मनावे,
माता रे बली चढा वण आवे,
ओ माता जोगणिया,
ओ माता जोगणिया,
पाडो भुरको तो भर लायो,
खड्ग ले मारवा ने आयो,
पाडो मगरा में भगायो,
ओ माता जोगणिया,
ओ माता जोगणिया।।
खड़ग ले मंदिर बाहर आई,
ठोकर भैरू के लगाई,
बेठो अरविंद पल रै माई,
ओ माता जोगणिया,
जो कोई सांचा मन सु ध्यावे,
जा रे दौड़ी दौड़ी आवे,
जारा बिगडीया काम सुधारें,
ओ माता जोगणिया,
ओ माता जोगणिया।।
कवि तो राम पाल जस गाई,
अर्जी छोटी सी मू गाई,
रेवे भिलोडा रे माई,
ओ माता जोगणिया,
ओ माता जोगणिया।।
धन अंबे जोगणिया रानी,
थारी महिमा जग में जानी,
थाने ऋषि मुनि पहचानी,
ओ माता जोगणिया,
ओ माता जोगणिया।।
गायक – देवीलाल जी कुमावत।
प्रेषक – प्रदीप मेहता झाडोल।
94148 30301