राधे कृष्ण जप ले रे मन,
दोहा – जिंदगी जब तक रहेगी,
फुर्सत ना होगी काम से,
कुछ समय ऐसा निकालो,
प्रेम कर लो श्याम से।
राधे कृष्ण जप ले रे मन,
झूठा है यह जग सारा,
बना ले मन का एकतारा।।
तेरे जैसे लाखों आए,
लाखों ही मिट जाते है,
धन दौलत और माल खजाना,
यही पड़े रह जाते है,
किसी को दुश्मन क्यों कहता है,
किसी को कहता क्यों प्यारा,
बना ले मन का एकतारा।।
बूंद से बालक बना,
बालक से जवानी आ गई,
जवान से बूढ़ा हुआ और,
मौत सर पर छा गई,
कौन किसी की घरवाली है,
कौन किसी का कौन घर वाला,
बना ले मन का एकतारा।।
बीज से अंकुर बना,
अंकुर से दरख़्त बन गया,
दरखत से फल फूल बनके,
फिर से बीज बन गया,
दुनिया की हर तस्वीरों में,
एक वही मुरली वाला,
बना ले मन का एक तारा।।
सागर से बादल बना,
बादल से बरसा हो गई,
वर्षा से नदिया बही तो फिर,
सागर में खो गई,
कहे कन्हैयालाल मुसाफिर,
नाव पड़ी तेरी मजदारा,
बना ले मन का एक तारा।।
राधे कृष्ण जप लें रे मन,
झूठा है यह जग सारा,
बना ले मन का एकतारा।।
गायक – रमेश शर्मा।
प्रेषक – प्रदीप मेहता झाडोल।
94148 30301