जहाँ जहाँ बैठे जिस मोड़ पे बैठे,
खाटू में ऐसा लगता,
तेरी गोद में बैठे।।
jaha jaha baithe jis mod pe baithe
देखे – इतने सेठ जहा में मौज उड़ाते है।
जिसे मैं कह सकूँ अपना,
वो तो खाटू में रहता है,
याद जो आ जाये उसकी,
आँख से आंसू बहता है,
जन्मो का नाता,
हम जोड़ के बैठे,
खाटू में ऐसा लगता,
तेरी गोद में बैठे।।
तुम्हारे मंदिर को बाबा,
कभी मंदिर नहीं समझा,
अपने बाबा का घर समझा,
कभी भी दर नहीं समझा,
अपना ही घर है,
ये सोच के बैठे,
खाटू में ऐसा लगता,
तेरी गोद में बैठे।।
तेरी खाटू की गलियों में,
ही ऐसा प्यार बरसता है,
हो रहा जो इसमें पागल,
उसका जीवन संवरता है,
लाखों ही पागल,
देखो मौज में बैठे,
खाटू में ऐसा लगता,
तेरी गोद में बैठे।।
जब भी हम वापस आते है,
ये गलियों छोड़ के तेरी,
ऐसा लगता है ‘बनवारी’,
उतर आये गोद से तेरी,
घर क्यों नहीं खाटू में,
मन मसोस के बैठे,
खाटू में ऐसा लगता,
तेरी गोद में बैठे।।
जहाँ जहाँ बैठे जिस मोड़ पे बैठे,
खाटू में ऐसा लगता,
तेरी गोद में बैठे।।
Singer – Payal Agarwal
Lyricist – Jai Shankar Ji Chaudhary