किस्मत पर नाज करूँ,
जिन कुशल गुरु जो मिले,
हर कदम ये हाथ पकड़,
हरपल मेरे साथ चले,
किस्मत पर नाज करू।।
तर्ज – होठो से छु लो तुम।
रोशन हुई दुनिया मेरी,
जब आया गुरु की शरण,
तन मन धन करू जीवन,
गुरु चरणों में अर्पण,
जिंदगी का भरोसा क्या,
दुबारा मिले न मिले,
हर कदम ये हाथ पकड़,
हरपल मेरे साथ चले,
किस्मत पर नाज करू।।
गुरु ग्यान की ज्योति है,
अज्ञान तिमिर हर ले,
गुरु अनमोल मोती है,
तू ध्यान जरा धर ले,
कोई प्रबल पुण्य से ही,
गुरुदेव की भक्ति मिले,
हर कदम ये हाथ पकड़,
हरपल मेरे साथ चले,
किस्मत पर नाज करू।।
‘दिलबर’ ये तमन्ना है,
कभी गुरुवर न रूठे,
जीवन की अंतिम सांस,
गुरु चरणों में छुटे,
फिर क्या मांगे नागेश,
जो ऐसी सौगात मिले,
हर कदम ये हाथ पकड़,
हरपल मेरे साथ चले,
किस्मत पर नाज करू।।
किस्मत पर नाज करूँ,
जिन कुशल गुरु जो मिले,
हर कदम ये हाथ पकड़,
हरपल मेरे साथ चले,
किस्मत पर नाज करू।।
गायक – नागेश कांठा।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया दिलबर।
9907023365