पहली क्यु परणया भोला,
म्हारो क्यु पकडयो छो हाथ,
जा धुना पे पलक लगाओ,
मैं कुण सु करसु बात,
पहले क्यु परणया भोला,
म्हारो क्यु पकडयो छो हाथ।।
माँ बाबा को कियो न मानी,
कन्या भोली जात,
भोली ढाली कन्या भोला,
आगी थाकी साथ,
पहले क्यु परणया भोला,
म्हारो क्यु पकडयो छो हाथ।।
सखी सहेलियां मना करी,
म कोनी मानी बात,
सखी सहेल्या छोड़ी भोला,
आगी थाकी साथ,
पहले क्यु परणया भोला,
म्हारो क्यु पकडयो छो हाथ।।
रहबा ताई टपरी को न,
को न टूटी खाट,
सासु सुसरो कोन म्हारे,
करस्यु कुणस बात,
पहले क्यु परणया भोला,
म्हारो क्यु पकडयो छो हाथ।।
मीठो मीठो मुलके भोलो,
बेठया दोनी साथ,
रमेश प्रजापत महिमा गावे,
कुशल राजस्थानी साथ,
पहले क्यु परणया भोला,
म्हारो क्यु पकडयो छो हाथ।।
पहली क्यु परणया भोला,
म्हारो क्यु पकडयो छो हाथ,
जा धुना पे पलक लगाओ,
मैं कुण सु करसु बात,
पहले क्यु परणया भोला,
म्हारो क्यु पकडयो छो हाथ।।
गायक – रमेश प्रजापत टोंक।
प्रेषक – मोहन वैष्णव।