शिव नाथ चरणों में तेरे,
कोटि कोटि प्रणाम है।।
तेरी कृपा का न अंत है,
दीनों पे तू दयावंत है,
तू विश्व रूप अनंत है,
देवों का भी भगवंत है,
गंगा जटा के बीच में,
कैलाश तेरा धाम है,
शिव नाथ चरणो मे तेरे,
कोटि कोटि प्रणाम है।।
तुम आसमा में चांद तारे,
मैं धरा पे धूल हूँ,
तुम शक्तिमान हो विश्व में,
मुरझाया सा मैं फूल हूँ,
हम राह में भटके पथिक,
और तुम प्रभु विश्राम हो,
शिव नाथ चरणो मे तेरे,
कोटि कोटि प्रणाम है।।
तेरा द्वार शांति से भरा,
हम भक्त तेरे अभिन्न है,
प्रभु तू सभी में एक है,
फिर भी लगे क्यूँ भिन्न है,
प्रभु तू ही तू सब विश्व में,
और तू ही सुबह शाम है,
शिव नाथ चरणो मे तेरे,
कोटि कोटि प्रणाम है।।
तू देवता हम दास तेरे,
दीप हम तू ज्योति है,
धागा हैं हम सब माल के,
और आप उसके मोती है,
‘राजेन्द्र’ शिव ही सत्य है,
और शिव ही आनंद धाम है,
शिव नाथ चरणो मे तेरे,
कोटि कोटि प्रणाम है।।
शिव नाथ चरणों में तेरे,
कोटि कोटि प्रणाम है।।
गीतकार/गायक – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।
मो. 8839262340