चल पड़ा है चल पड़ा है,
चल पड़ा हैं,
वो लीले घोड़े वाला देखो,
चल पड़ा है।।
तर्ज – चल अकेला चल अकेला।
इसी तर्ज पे – कर भरोसा कर भरोसा।
किसी ने जब भी मेरे,
श्याम को आवाज दी है,
बिना देरी लीले की,
लगाम इसने थाम ली है,
अपने ही भगत की खातिर,
हर संकट से श्याम लड़ा है,
चल पड़ा हैं चल पड़ा हैं,
चल पड़ा हैं,
वो लीले घोड़े वाला देखो,
चल पड़ा हैं।।
भगत की लाज पे आंच,
आये तो ये दौड़े,
भयानक आंधी और तूफ़ान,
के रुख को ये मोड़े,
तू क्यों घबराता बन्दे,
तेरा बाबा यही खड़ा है,
चल पड़ा हैं चल पड़ा हैं,
चल पड़ा हैं,
वो लीले घोड़े वाला देखो,
चल पड़ा हैं।।
श्याम साथी है दीनों का,
निराला देव हमारा,
कभी कहलाता है जग में,
श्याम हारे का सहारा,
कोई और नहीं है इस दुनिया में,
बाबा सबसे बड़ा है,
चल पड़ा हैं चल पड़ा हैं,
चल पड़ा हैं,
वो लीले घोड़े वाला देखो,
चल पड़ा हैं।।
चल पड़ा हैं चल पड़ा हैं,
चल पड़ा हैं,
वो लीले घोड़े वाला देखो,
चल पड़ा है।।
गायक – संजय मित्तल जी।
प्रेषक – निलेश मदनलालजी खंडेलवाल।
धामनगाव रेल्वे – 9765438728