दुनिया भर के व्यापारी आ गये,
खाटू के बाजार में,
कितना दिखावा हो रहा बाबा,
तेरे इस दरबार में।।
तर्ज ~ क्या मिलिए।
मंहगा हो गया तेरा कीर्तन,
मंहगी हो गई सवामणी,
महंगे से भी हो गया महंगा,
दर्शन तेरे श्याम धणी,
लाखों रुपये स्वाहा हो जाते,
मंहगे फूलों के हार में,
कितना दिखावा हो रहा बाबा,
तेरे इस दरबार में।।
लाखों चढ़ते निशान तेरे,
जिनकी कोई कदर नहीं,
पैरों से कुचले जाते हैं,
उन पर कोई नजर नहीं,
बस भक्ति का ढ़ोंग रचाये,
फिरते हे संसार में,
कितना दिखावा हो रहा बाबा,
तेरे इस दरबार में।।
भजनों की नही बहती गंगा,
बस लोगों का शोर है,
झुठे किस्से कहानी सुनाते,
भक्ति अब कमजोर है,
इत्तर की यहाँ बारिश होती,
गायक के सत्कार में,
कितना दिखावा हो रहा बाबा,
तेरे इस दरबार में।।
कहलाते है श्याम के प्रेमी,
पर आपस में प्यार कहाँ,
एक दूजे को कसके कोसे,
जिसको मौका मिले जहाँ,
प्रेम कहीं अब दिखता नहीं है,
‘केशव’ तेरे परिवार में,
कितना दिखावा हो रहा बाबा,
तेरे इस दरबार में।।
दुनिया भर के व्यापारी आ गये,
खाटू के बाजार में,
कितना दिखावा हो रहा बाबा,
तेरे इस दरबार में।।
गायक – विक्की शर्मा
लेखक / प्रेषक – मनीष शर्मा।
9854429898
संगीत – मारुति स्टूडियो।