ये मशीने ये पुर्जे,
ये फरमा ना होते,
अगर विश्व में,
विश्वकर्मा ना होते।।
देखे – कुशल कारीगरी ही इनकी पहचान है।
ये कल कारखाने ये मज़दूर मिले,
ये छैनी हथौड़े ये पेंच और कीले,
ये टाटा और टेल्को ये मज़दूर मिले,
ये छैनीं हथौड़े ये पेंच और कीले,
ये अद्भुत हुनर कारीगर भी ना होते,
अगर विश्व मे,
विश्वकर्मा ना होते।।
ये विज्ञान का ज्ञान दुनिया से जुड़ना,
जहाजों का उड़ना ईशारो से मुड़ना,
चमत्कार ये दुनिया भर में ना होते,
अगर विश्व मे,
विश्वकर्मा ना होते।।
ये बिल्डिंगे ये इमारत ये बाइक ये कारें,
नई सभ्यता के ये सुन्दर नजारे,
सुशोभित हमारे घरों में ना होते,
अगर विश्व मे,
विश्वकर्मा ना होते।
है अद्भुत बहुत ‘बेधड़क’ इनके अंशज,
कला में निपूर्ण विश्वकर्मा के वंशज,
ऐ ‘लक्खा’ ये शर्मा ये वर्मा ना होते,
अगर विश्व मे,
विश्वकर्मा ना होते।।
ये मशीने ये पुर्जे,
ये फरमा ना होते,
अगर विश्व में,
विश्वकर्मा ना होते।।
स्वर – लखबीर सिंह जी लख्खा।