लिखा किस्मत में,
मिटता नहीं मिटाने से,
समय को काट लो भैया,
किसी बहाने से।।
तर्ज – हुस्न हाजिर है।
हरिश्चंद्र राजा था,
संग रानी तारा,
रोहित को नाग ने काटा,
कफन भी मिल नहीं पाया,
समय की धारा,
मिटती नहीं मिटाने से,
समय को काट लो भैया,
किसी बहाने से।।
रावण अभिमानी था,
सिया को चुरा लाया,
सबसे कहता था यही,
कौन मुझे मारने वाला,
रोक नहीं पाया कोई,
रावण को मरने से,
समय को काट लो भैया,
किसी बहाने से।।
प्रहलाद भक्त था,
हरि नाम जपता था,
हरि नाम जपता था,
किसी से ना डरता था,
रोक नहीं पाया कोई,
हरि नाम रटने से,
समय को काट लो भैया,
किसी बहाने से।।
लिखा किस्मत में,
मिटता नहीं मिटाने से,
समय को काट लो भैया,
किसी बहाने से।।
गायक – लखन रघुवंशी।