गुरु की महिमा अपरंपार,
दोहा – मन में राम का नाम हो,
और सर पे गुरु का हाथ,
उसकी नाव ना डूबती,
ये दोनों हो साथ।
गुरु गूंगे गुरु बावरे,
गुरु के रहिए दास,
गुरु जो भेजे नरक को,
स्वर्ग की रखिए आस।
गुरु की महिमा अपरंपार,
गुरु शरण में जाकर बंदे,
देख ले तू एक बार,
गुरु की महीमा अपरंपार,
गुरु की महीमा अपरंपार।।
गुरु बिना ज्ञान नहीं मिलता है,
ज्ञान का द्वार नहीं खुलता है,
जीवन सार नहीं मिलता है,
रहे सदा पशु आधार,
गुरु की महीमा अपरंपार,
गुरु की महीमा अपरंपार।।
गुरु की महिमा अजब निराली,
सुखी डाली पे हरियाली,
गुरु का वचन जाए ना खाली,
ये झूठा है संसार,
गुरु की महीमा अपरंपार,
गुरु की महीमा अपरंपार।।
गुरु का सुमिरन करले बंदे,
छोड़ दे ये सब काले धंधे,
काम करे क्यों इतने गंदे,
तेरा कैसे हो उद्धार,
गुरु की महीमा अपरंपार,
गुरु की महीमा अपरंपार।।
लख चौरासी में भटकेगा,
बनकर जीव जीव सटकेगा,
तू ही अकेला सर पटकेगा,
जब फसे बीच मझधार,
गुरु की महीमा अपरंपार,
गुरु की महीमा अपरंपार।।
गुरु की महीमा अपरंपार,
गुरु शरण में जाकर बंदे,
देख ले तू एक बार,
गुरु की महीमा अपरंपार,
गुरु की महीमा अपरंपार।।
Singer – Prakash Akela