तेरी मस्ती में नच के,
मलंग हो गया,
चांदी चांदी करा दे,
हाथ तंग हो गया।
लगे सोणा की तू ऐसा,
जमाना दंग हो गया,
तेरी मस्ती में नचके,
मलंग हो गया,
चांदी चांदी करा दे,
हाथ तंग हो गया।।
तर्ज – मेरे हाथो में नौ नौ चूड़ियां।
सारे कहंदेने जगत का,
तू सेठ साँवरा,
थोड़ा हूण दा बढ़ा दे,
कुछ रेट साँवरा,
अच्छा खासा था,
सुख के पतंग हो गया,
चांदी चांदी करा दे,
हाथ तंग हो गया।
लगे सोणा की तू ऐसा,
जमाना दंग हो गया,
तेरी मस्ती में नचके,
मलंग हो गया,
चांदी चांदी करा दे,
हाथ तंग हो गया।।
लम्बी लम्बी कतारे,
तेरे द्वार पे खड़ी,
मेरे माथे पे फेरा दे,
अपनी मोर तू छड़ी,
करूँ मैं क्या,
ज़माने का यही तो,
ढंग हो गया,
चांदी चांदी करा दे,
हाथ तंग हो गया।
लगे सोणा की तू ऐसा,
जमाना दंग हो गया,
तेरी मस्ती में नचके,
मलंग हो गया,
चांदी चांदी करा दे,
हाथ तंग हो गया।।
‘लहरी’ द्वारे पे खड़े मैं,
नैय्यो झूट बोलना,
भाई भाई में नचा है,
आज लूट खोसणा,
भर दे झोली,
ते केवा मैं सलंग हो गया,
चांदी चांदी करा दे,
हाथ तंग हो गया।
लगे सोणा की तू ऐसा,
जमाना दंग हो गया,
तेरी मस्ती में नच के,
मलंग हो गया,
चांदी चांदी करा दे,
हाथ तंग हो गया।।