माँ ज्वाला से आई माँ की ज्योत,
ज्योत बड़ी प्यारी लगे,
प्यारी लगे जग से न्यारी लगे,
सुंदर लगे बड़ी प्यारी लगे,
भक्त लाए मैया की ज्योत,
ज्योत बड़ी प्यारी लगे।।
ज्योति का प्रकाश निराला,
जग को रोशन करने वाला,
अंधकार मिटाए मां की ज्योत,
ज्योत कल्याणी लगे।।
पानी में है जलती ज्वाला,
मां का है चमत्कार निराला,
बिना तेल बाती जले मां की ज्योत,
ज्योत नूरानी लगे।।
अकबर भी अभिमानी आया,
ज्योत बुझाने छतर भी लाया,
छत्र फाड़ के निकली मां की जोत,
ज्योत बड़ी शान से जगे।।
‘श्याम’ जो मां के दर पर आए,
अपनी भावना जो मन में लाए,
सब की सुनती है मां की जोत,
ज्योत वरदानी लगे।।
माँ ज्वाला से आई माँ की ज्योत,
ज्योत बड़ी प्यारी लगे,
प्यारी लगे जग से न्यारी लगे,
सुंदर लगे बड़ी प्यारी लगे,
भक्त लाए मैया की ज्योत,
ज्योत बड़ी प्यारी लगे।।
स्वर एवं भाव – घनश्याम मिढ़ा।
भिवानी (हरियाणा)
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