ओढ़े है चुनर लाल,
बिंदिया सोहे है भाल,
क्या खूब सजा श्रृंगार,
माँ तुम प्रेम की मूरत हो,
तुम प्रेम की मूरत हो।।
तर्ज – ना कजरे की धार।
तेरे माथे का टीका चमके,
टीके का माँ क्या कहना,
लिए हाथ पुष्प की माला,
गले पहने सुंदर गहना,
तेरी सूरत प्यारी मूरत,
तेरी सूरत प्यारी मूरत,
मैं देखूं बारम्बार,
ले हाथों में तलवार,
होकर के सिंह सवार,
माँ आ जाओ दरबार,
माँ तुम प्रेम की मूरत हों,
तुम प्रेम की मूरत हो।।
तेरा ऊंचा भवन निराला,
जले जगमग दीपक ज्वाला,
तेरे चरण पखारुं मैया,
दे दे चरणों में ठिकाना,
तेरी शक्ति को सब जाने.
महिमा को जग बखाने,
फिर आया मैं हर द्वार,
दुखड़ा सुनले इस बार,
मैं आता रहूँ हर बार,
कर दो मेरा उद्धार,
माँ तुम प्रेम की मूरत हों,
तुम प्रेम की मूरत हो।।
मेरा कर दो मैया मंगल,
तेरी सेवा करूँ मैं हरपल,
मुझे आज ही देना वर,
माँ मेरे मन मे मची है हलचल,
होगा जो एक इशारा,
होगा जो एक इशारा,
तर जाऊंगा मैं नादान,
करता मैं तेरा ध्यान,
निशदिन करता गुणगान,
भजनों की चले है बहार,
माँ तुम प्रेम की मूरत हों,
तुम प्रेम की मूरत हो।।
ओढ़े है चुनर लाल,
बिंदिया सोहे है भाल,
क्या खूब सजा श्रृंगार,
माँ तुम प्रेम की मूरत हो,
तुम प्रेम की मूरत हो।।
Singer – Mukesh Kumar Meena