धरती अम्बर झूम रहे है,
श्री बाबोसा पधारे,
चाँद सितारे नजर उतारे,
पवन है डगर बुहारे,
शुभ दिन है ये स्वर्णिम अवसर,
बाबोसा घर आये,
पुण्योदय से आज हमने,
दर्शन इनके पाये,
के छाई चहु ओर खुशियां,
खिली मन की कलियाँ।।
तर्ज – उड़ जा काले कावा।
पर्वत नदिया पुष्प लताये,
नमन आपको करती,
चरण कमल जो पड़े आपके,
धन्य हुई ये धरती,
बैठ आम की डाली गाये,
कोयलिया ये काली,
आज फिजा में महके खुशुब,
आई रुत मतवाली,
के छाई चहु ओर खुशियां,
खिली मन की कलियाँ।।
देवी देवता स्वर्ग लोक से,
बरसा रहे सुमन,
अभिनंदन स्वागत है आपका,
हे छगनी नदंन,
रंग बिरंगी रंगोली से,
सजे है घर के आगंन,
आपके शुभ आगमन से,
झूम रहा है मन,
के छाई चहु ओर खुशियां,
खिली मन की कलियाँ।।
रोशन हुई है कुटिया मेरी,
बाबोसा जो पधारे,
आपके दर्शन से हुए है,
सच ये सपने हमारे,
मेरी जीवन डोर ये ‘दिलबर’,
हाथों में है तुम्हारे,
‘उर्वशी दर्शन’ ये बोले,
आप ही पालनहारे,
के छाई चहु ओर खुशियां,
खिली मन की कलियाँ।।
धरती अम्बर झूम रहे है,
श्री बाबोसा पधारे,
चाँद सितारे नजर उतारे,
पवन है डगर बुहारे,
शुभ दिन है ये स्वर्णिम अवसर,
बाबोसा घर आये,
पुण्योदय से आज हमने,
दर्शन इनके पाये,
के छाई चहु ओर खुशियां,
खिली मन की कलियाँ।।
गायक – दर्शन, उर्वशी चोपड़ा।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
9907023365