नंदनी खुदनी के नंदन,
करते हम तुमको वंदन,
पचासवां दीक्षा दिवस है,
हर्षित है गुरु भक्तो का मन,
जय गुरुवरम्म, जय गुरुवरम्म,
जय सुरिवरमम्म, जय सुरिवरमम्म,
जिनशासन की शान है,
तप चारित्र महान है,
श्री जिन मनोज्ञ सुरि गुरुराज तो,
हम भक्तो के है भगवन,
जय गुरुवरम्म, जय गुरुवरम्म,
जय सुरिवरमम्म, जय सुरिवरमम्म।।
हो खरतर गच्छ के दिव्य सितारे,
स्वभाव है जिनका सरल,
वैराग्य के पथ पर बढ़ते जा रहै,
प्रण है जिनका अटल,
श्री कांति सूरि जी के शिष्य प्यारे,
श्री प्रताप सागर के राज दुलारे,
संघ समाज के हित चिंतक बन,
करते है चिंतन हरदम,
जय गुरुवरम्म, जय गुरुवरम्म,
जय सुरिवरमम्म, जय सुरिवरमम्म।।
ब्रहमसर तीर्थ के है उधारक,
नागेंद्र तीर्थ के स्वप्न द्रस्ठा ।
कई मंदिर जीर्णोद्धार कराये,
कराई प्रभु की प्रतिस्ठा,
संघ एकता का बिगुल बजाया,
कई संघो का मतभेद मिटाया,
ऐसे उपकारी गुरुवर को,
आओ करे वन्दन,
जय गुरुवरम्म, जय गुरुवरम्म,
जय सुरिवरमम्म, जय सुरिवरमम्म।।
हो पचासवें दीक्षा दिवस की,
बधाई बारम्बार,
त्यागी वैरागी गुरुवर,
जिन शासन सिणगार,
श्री जिन मनोज्ञ सूरि,
गुरुराज हमारी बधाई,
करो स्वीकार,
लख लख देता बधाई ‘दिलबर’,
गुरु भक्त परिवार,
जय गुरुवरम्म, जय गुरुवरम्म,
जय सुरिवरमम्म, जय सुरिवरमम्म।।
नंदनी खुदनी के नंदन,
करते हम तुमको वंदन,
पचासवां दीक्षा दिवस है,
हर्षित है गुरु भक्तो का मन,
जय गुरुवरम्म, जय गुरुवरम्म,
जय सुरिवरमम्म, जय सुरिवरमम्म,
जिनशासन की शान है,
तप चारित्र महान है,
श्री जिन मनोज्ञ सुरि गुरुराज तो,
हम भक्तो के है भगवन,
जय गुरुवरम्म, जय गुरुवरम्म,
जय सुरिवरमम्म, जय सुरिवरमम्म।।
गायक – श्री हर्ष व्यास मुम्बई।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
9907023365