मानो तो मैं रामायण हूँ,
ना मानो तो एक कहानी,
तुलसी की तपस्या हूँ मैं,
हूँ वाल्मीकि की वाणी,
मानो तो मैं रामायण हूँ,
ना मानो तो एक कहानी।।
तर्ज – मानो तो मैं गंगा माँ हूँ।
मैं राम की हूँ मर्यादा,
सीता की अग्नि परीक्षा,
भावना भरत भाई की,
उर्मिला की हूँ मैं प्रतीक्षा,
मैं पवित्रता सीता की,
जिसके सम नाही कोई,
मानो तो मै रामायण हूँ
ना मानो तो एक कहानी।।
मैं केवट की एक नैया,
गंगा की निर्मल धारा,
धन्य धन्य है गिद्ध जटायु,
जिनको श्री राम ने तारा,
भक्तो के भाव से भर कर,
बहे राम की आँखो से पानी
मानो तो मै रामायण हूँ,
ना मानो तो एक कहानी।।
मैं सबरी की झूठन हूँ,
जिसे राम ने है स्वीकारा,
मैं अहंकार रावण का,
जिसे राघव ने है मारा,
मर्यादा पुरुषोत्तम के,
चरणों में झुका हर प्राणी
मानो तो मैं रामायण हूँ,
ना मानो तो एक कहानी।।
मानो तो मै रामायण हूँ,
ना मानो तो एक कहानी,
तुलसी की तपस्याहूँ मैं,
हूँ वाल्मीकि की वाणी,
मानो तो मैं रामायण हूँ,
ना मानो तो एक कहानी।।
https://youtu.be/ynNO__BJh9Y
बहुत अच्छा लगता हैं धन्य हो गये
Atisundarm 👌🤗💞